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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
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है । यहांपर राजासा० के नौकर रहते हैं । १ दि० जैन मंदिर और ४ घर दि० जनके है। थोड़ी दूरपर कोटसे घिरा हुआ १ दि० जैन मंदिर है । बाहर एक जंगल है। कोटके बाहर भीतर बहुत प्रतिमा हैं | यहां पर दो मकान हैं । एकके पश्चिम तरफ कोटरी में नीचे मोहरा है । रास्ता सकरा है । बैठकर भीतर जाना होता है । कोई प्रकाश लेकर भीतर जाना चाहिये । कारण कि भीतर अंधेरा रहता है । मोहरा ४२ प्रतिमा हैं । यहांका अपूर्व दर्शन करके बाहर आवे | यहांसे १ मोलकी दूरी पर लाल पत्थर से बना हुआ चारों तरफ मुखवाला बड़ा भारी मंदिर है । उसमें ३ प्रतिमा खड्गामन २२ हाथ उची अति महान शांतमुद्रा लालवर्णकी विराजमान हैं। मंदिरके बाहर मंडप जगल है | यहांका रचना देखनेके लिये एक आदमीको साथ ले जाना चाहिये। फिर जाकर खूब रचना देखना चाहिये | यहांका दर्शन करके बहुत आनंद होता है । मगर कुछ रोना पडता है । उन महात्माओंको धन्य है जिन्होंने अपना बहुत धन खर्च करके यह मंदिर बनवाया । परन्तु आज उसका जीर्णोद्वार और दर्शन करनेवाला भी कोई आदमी नहीं है ! कोई दि० जैन नहीं आता है । यहां लौटकर लश्कर स्टेशन आवे | स्टेशनसे १ मील चंपाबाग मेंसे अपना सामान लेकर ग्वालियर जंकशन जावे। यहां से १1) टिकटका देकर आगरा उतरे। यहांसे किसीको मागे जाना हो तो यहां से लाइनें जाती हैं । १ सोनागिर झांसी, बंबई तक | २ सिप्रो पत्नीहार, ३ आगरा, ४ भिंड, ५ शिवपुर चाहे जहां जावे। अगर बागरा जाना हो तो बीचमें मोरेना
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