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जैन तीर्थयात्रादर्शक। लका जमीनके भीतर है । जिसमें विक्रम संवत् १३४२ सालकी '७ प्रतिमा हैं। पहिले यहां बहुत अतिशय हुआ था। यहां भी लोग बोल कबृल चढ़ानेको आते हैं। १ मंडप, १ धर्मशाला और बाहर कुआ है। यहांकी यात्रा करके फिर वापिस तालवेट आवे । टिकट किराया ॥) देकर झांसी उतर पड़े।
(१४५) झांसी शहर । स्टेशनसे २ मील शहर पड़ता है। -) आनामें तांगा करके दि. जैन धर्मशालामें जावे । यह मिला और अच्छा शहर है। शहरमें ३ जिन मंदिर १ चैत्यालय है । एक मंदिरमें पांच वेदी
और सहस्रकूट चैत्यालय है । यहांका गढ़ बड़ा भारी है । शहरमें कोट और ४ दरवाजे हैं। बहुत घर दि. जैनियोंके हैं । सब माल मिलता है । यहांका दर्शन करके ३ मीलपर एक बगीचा है। उसका नाम कुरंगमा है । एक आदमी को साथ लेकर जावे । यहांपर कोटसे घिरा हुआ एक बगीचा है । कुवा, जंगल पासमें है। बगीचाकी जमीनमें एक भौहरा है । जिसमें वि० सं० १२ की प्रतिमा तपयुक्त पद्मासन विराजमान हैं । यहाँका दर्शन करके वापिस झांसी आवे । झांसीसे ३ रेलवे जाती हैं। १ सोनागिरआगरा तक, १ कानपुरको, १ माणिकपुर, इसी लाईनकी टिकट किराया १०) देकर हरपालपुर चला नावे ।
(१४६) हरपालपुर । इलाहाबाद-जबलपुरके बीचमें माणिकपुर जंकसन पडता है। सो इस लाईनसे आनेवाले भाई माणिकपुर गाड़ी बदलकर हरपालपुर नावे । टिकट २) लगता है। हरपालपुर छोटासा ग्राम है।