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जैन तीर्थयात्रादर्शक ।
[८१ २४ भगवानकी बिराजमान हैं। बाहर बहुत प्रतिमा खण्डहर दशामें गिरी हुई हैं, यहांकी प्राचीनता देखकर चित्तमें नैनधर्म का बड़ा भारी गौरव पैदा होता है । यहांसे थोड़ी दूर एक कोट है । भीतर एक महादेवका मन्दिर फटा-टूटा पड़ा है, ३ नांदिया बड़े२ हैं। १ कुण्ड, १ तालाव है, यह रचना भी देखने काबिल है, फिर लौटकर स्टेशन आवे ।
(१३६ ) नावलौन स्टेशन | ___ यह स्टेशन ललितपुर बीनाके बीचमें पड़ता है । यहांपर पूछनेपर देवगढ़ जानेको बैलगाड़ी ।) सवारीमें मिल जाती है । अगर नहीं भी मिले तो नावलौन गांवमें नावे । यह ग्राम म्टेशनसे २ मील दूर है । पक्को सड़क है। फिर यहांसे किगये बैलगाड़ी करके ६ मील देवगढ़ जाना चाहिये । देवगढ़ स्टेशनसे भी ६ मील पड़ता है । और गांवसे भी ६ मील पड़ता है ।
(१३७) देवगढ़ क्षेत्र । यह अतिशयक्षेत्र नैनियों का भारी पुण्यस्थान है । पहिले यह देवगढ़ बड़ा भारी नगर था । अव छोटासा ग्राम है। यहांपर एक धर्मशाला है। एक बड़ा भारी पहाड़ है। उसका चढ़ाव १ मीलका है। पत्थरकी बनी हुई सड़क है । एक कोट चारों तरफ २ मील तक खिंचा हुआ है। जिसमें तीन तरफ ३ दरवाना और एक तरफ मुनीश्वरोंके ध्यान करने की गुफा है । इस गुफा २०• आदमी बैठ सकते हैं। इसके नीचे नदी बहती है। नदी यहांपर बहुत गहरी है । यात्रियोंको एक मादमीको साथ लेकर इस पवित्र स्यानको जरूर देखना चाहिये। एक दरवाजा गांवकी तरफ है। एक