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जैन तीर्थयात्रादर्शक । (१३४) बंजरगढ़का अतिशय । यहांपर कभी उत्सव हुआ था, सो मुसलमान लोगोंने हमला करके उत्सवमें विघ्न किया था। मगर उसी समय यहांके मन्दिरसे भौर उड़कर सबपर टूट पड़ी । पत्थर और अग्निकी वर्षा आकाशसे होने लगी, सब जगह धुवां अन्धकार छागया, लोग सब डरकर भाग गये । फिर शांति होगई थी। फिर बीना इटावासे ॥) टिकिटका देकर (श्री चांदपुरक्षेत्र) धवला म्टेशन उतर पड़े। फिर यहांसे चांदपुरक्षेत्रकी वंदना कर लेनी चाहिये । ललितपुरसे आनेवाले भाई पहिले जाखलौन स्टेशन उतर कर देवगढ़की यात्रा करें फिर लौटती समय घवला स्टेशन उतरकर चांदपुरक्षेत्रकी वंदना करें।
(१३५ ) चांदपुरक्षेत्र । ___ यह स्थान जंगलमें जीर्ण और वे मरम्मत पड़ा हुआ है, यहां मरम्मत करना धर्मात्मा पुरुषोंका परम कर्तव्य है । जीर्णोद्धार बराबर पुण्य नये मकान में नहीं होसकता है । देवगढ़की यात्रा करके भी लौटकर ( मीलपर आ जासकते हैं । ललितपुर और जाखलौनसे आगे या बीनासे जाखलौन पहिले इसी धवला स्टेशन उतर कर और किसी जानकार आदमीको संग लेकर इस स्थानके दर्शन जरूर करना चाहिये । स्टेशनसे २ मीलकी दुरीपर हैं। ऐसे २ स्थानोंपर मनी भाई नहीं जाते हैं, और मरम्मत भी नहीं कराते हैं, इसका भी बड़ा दुःख है । यहांपर रेल्वेकी चौकीसे थोड़ी दूरपर एक बड़े भारी विशाल कोटसे घिरा हुआ मन्दिर है, बीचमें १ प्रतिमा, बगळमें १४ प्रतिमा। १ प्रतिमा ७ गन लम्बी, खड्गासन मखण्डित बिराममान हैं।इनके सिवाय मन्दिरकी दीवालमे २४ प्रतिमा,