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जैन तीर्थयात्रादर्षक। [७९ जावे । किसीको सागर जाना हो तो चल भाव । मोटर सुबह शाम आती है । किराया भी २) लगता है । चन्देरीसे एक रास्ता ललितपुर भी जाता है । २२ मील करीव पड़ता है। फिर मुंगाबलीसे ॥) टिकट देकर गुना मानावे ।
(१३२) गुणा छावनी । स्टेशनसे वनरगढ़ जानेको ॥ सवारीमें तांगा हर समय तैयार मिलता है । सो यहांसे पहिले वंजरगढ़ माना चाहिये । अगर गुना शहरमें जाना है तो ॥) सवारीमें शहरमें चला जाय । व्यापारी कम्बा अच्छा है । सो यहां २ मंदिर ४ वेदी, बहुत प्रतिमा, पाठशाला, और बहुत घर जैनियों के है। यहांसे ११ मील बंजरगढ़ है, पक्की सडकका रास्ता है।
(१३३ ) अतिशयक्षेत्र श्री बंजरगढ़नी ।
यह ग्राम अच्छा है, एक दि. जैन धर्मशाला, पाठशाला, मन्दिर, बहुन घर जैनियोंके हैं । यहांसे १ फाग २ मन्दिर हैं। एक तीसरा मन्दिर २ फलोग दूरीपर है। लक्षों रुपयाकी लागतका है। निममें १ प्रतिमा २० हाथ ऊँची और प्रतिमा बगलमे १५ हाथ ऊँची मनोहर वडगापन तप नेनवान अतिशय युक्त शांत, कुन्थु, अरहनाथ नीकी प्रतिमा विराजमान हैं। यहांका दर्शन करके सब बात स्वयं माल्टन क. लेना चाहिये । यहांकी यात्रा करके लौटकर गुना आजवे । फिर गुनासे इटावा चला भावे, यहांसे किसीको मागे जाना हो तो यह गाड़ी कोटा बारनवारा तक माती है। इस लाइनमें भी बहुत यात्रा है, सो पहिले लिखी माची सो नानदा उज्जैन आदिको तरफ देख लेना चाहिये।