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________________ .७८] जैन तीर्थयात्रादर्शक । रंगरंगकी २४ महाराजकी मनोहर और भव्य प्रतिमा बिराजमान हैं। और भी बहुत प्रतिमा है। यहां दि. जैनियों की संख्या मच्छी है । यहांकी यात्रा करके बैलगाड़ी, मोटरसे ११ मील श्री थोवननी जाना चाहिये। 1) सवारीसे २ मील जंगल में पहाड़ ऊपर तथा नीचे प्राचीन प्रतिमा, चबूतरा ऊपर चरणपादुका मादिका दर्शन करना चाहिये। (१३०) अतिशयक्षेत्र थोवनजी। यह ग्राम छोटाता है, एक नदी है, एक पहाड़पर एक पहाइपर एक जंगलमें १ धर्मशाला १ बाबड़ी, कुल २२ मंदिर हैं। जिसमें बहुत प्राचीन बड़ी२ प्रतिमा हैं। उनमें से दश प्रतिमाएं ७-८-१०-१० हाथ ऊँची खड्गासन हैं। वे प्रतिमाएं महा मनोहर शांत छबि हैं । यह जैनियों का स्थान एक करोड़ रुपयेकी कीमतका है। यहांसे लौटकर चन्देरी आवे । चन्देरीसे मुंगावली आवे, मुंगावलीसे १८ मील अतिशयक्षेत्र श्री बीनानी जावे । (१.३१) बीना अतिशयक्षेत्र । बीना जानेका रास्ता दूपरा रास्ता सागरसे करेली जानेवाली सड़कके किनारे देवरी है। उससे ४ मोलकी दुरीपर बीनानी पड़ता है । यहांपर तीन मंदिर बड़े विशाल और कीमती प्राचीन बने हुए हैं । उसमें १ प्रतिमा ५ गन ऊंची श्री शांतिनाथ भगवानकी व एक प्रतिमा ४ गज ऊँची महावीरस्वामीकी विराजमान है। और भी बहुत प्रतिमा प्राचीनकालकी तप तेनवान मतिशय युक्त विराजमान हैं । एक भौंहरा भी है। हिपमें प्रतिमा है, और भी कई चीजें देखने योग्य हैं। यहांकी यात्रा करके मुंगावली
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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