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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [७७. पपौरानी जासकते हैं। यात्रियों की इच्छा हो जिघरसे जावे । बहुधा लौटकर सागर भावे । फिर रेलगाड़ीसे बीना इटावा जंकसन उतरे । यहांसे गाड़ी बदलकर बीना वारन लाईनसे ।) टिकट देकर मुंगावली नावे । अगर कोई भाई बीना इटावा उतरें तो वहांका हाल नीचे देव । (१२७) बीना-इटावा। म्टेशनसे २ मीलकी दूरी पर धर्मशाला है, । सवारीमें तांगावाला ले जाता है । यहां एक मंदिरमें ७ वेदी हैं। १ पाठशाला भी हैं । नियों के बहुत घर हैं । शहर ठीक है। लौटकर स्टेशन आवे। फिर यहांमे १ बंबई, २ ललितपुर, झांसी, सोनागिर, आगरा, ग्वालियर होती हुई देहलीतक जाती है । १ मुंगावली गुना होकर कोटा वारन तक जाती है। १ सागर दमोह तरफ जाती हैं | सो चारों तरफ जैन तीर्थ हैं । अब मुंगावली तरफका विवरण लिखता हूं। (१२८ ) मुंगावली। म्टेशनसे १ मील ग्राममें दि० धर्मशाला है, उसका किराया -) है। ग्राम अच्छा है । ४ मंदिर हैं । और दि० जैन घर बहुत हैं । यहांसे चन्देरी १६ मील है। मोटरवाला II) सवारी लेकर पहुंचा देता है। (१२९ ) चंदेरी शहर । यह राना शिशुपाल नोरासिंधुके समयका अच्छा शहर है। यहांका कोट, सड़क, दरवाजा, मकानात बड़े ही कीमती और मनबूत हैं। यहांपर ३ जिनमंदिर १ धर्मशाला है। एक मंदिरनीम]
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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