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जैन तीर्थयात्रादर्शक । [६७ उतर पड़े। धामणगांवसे गाड़ी आदि सवारी लेकर कुंदनपुर जावे, १२ मोलकी दूरीपर है।
(११०) कुन्दनपुर अतिशयक्षेत्र । यह अतिशयक्षेत्र अमरावतीसे वर्धा नदीके किनारेपर है। यहांपर राजा भीष्मकी पुत्री रुक्मिणीका विवाह श्रीकृष्ण नीके साथ हुआ था। यह वही कुंदनपुर है। यहांपर बहुत विशाल तीन मंदिर हैं। तीनों दि० मंदिरों के बीच एक मन्दिर बहुत ही बदिया है । एक मन्दिर वैष्णवोंका है, उसमें श्रीकृष्ण और रुक्मिणीकी मूर्ति हैं, यह मन्दिर भी कीमती है। इसमें ३ मुरंग बहुत दूर तक हैं, यहांका दि० जैन मन्दिर बहुत बढ़िया और प्राचीन है। उसमें प्रतिमाजी रमणीक मुन्दर है। यहां एक बड़ी धर्मशाला है जिसमें बड़ी दालान है, यहां बहुतसी रचना प्राचीन देखने काबिल है । यहां तीनों मन्दिर पहिले नैनियोंके थे जिसमें नेमिनाथ राजुलकी मूर्ति थी। जिसको काल दोषसे वैष्णव लोग बिट्ठा बा रखीमाई कहके पूमते हैं और नैनियों की निद्रासे २ मंदिर गोका होगया। सिर्फ १ मन्दिर जैनियों का हट गया है। यहां हजारों यात्री वैष्णवोंके आते हैं, फिर दि० भाई बहुत कम माते हैं, यह एक नामी
और प्रसिद्ध क्षेत्र है। यहांकी यात्रा भाइयों को अवश्य करना चाहिये, फिर लौटकर नागपुर पाना चाहिये ।
(१११) नागपुर शहर । स्टेशनसे १ मीलपर दि. जैन धर्मशाला है. यहाएर ठहरना चाहिये। यहीपर एक बड़ा मंदिर है, जिसमें ५-६ वेदी हैं, हजारों पतिमा हैं। यहां पानीका कुमा, मंगल, बान नदी है, एक,