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जैन तीर्थयात्रादर्शक। दर्शन करके आनन्द होता है । अमरावती शहर पुराना है । कुछ देखना, खरीदना हो तो देखे, खरीदें। चारों तरफ कोट और दरवाजे हैं। यहांसे बैलगाड़ी भाड़ा करके श्री भातकुलीनी जावे। रास्ता केवल ( मील ही पड़ता है । भाड़ा ॥) ही लगता है।
(१०९) अतिशयक्षेत्र भातकुलीजी। ___मूर्तिजापुरसे दो स्टेशन कुरम हैं वहांसे भी भातकुली आते. जाते हैं । परन्तु राम्ता १० मील पड़ता है । सवारी भी मिलती है। यहां एक धर्मशाला, ३ मंदिर हैं। जिनमें ६ वेदियां हैं। प्रतिमा मनोज्ञ और विशाल हैं। मूलनायक प्रतिमा श्री आदिनाथ स्वामीकी चतुर्थ कालकी दर्शनीय है। जमीनमें से एक आदमीको पवन देकर निकली थी। यहां भी बहुत यात्री भाते हैं । घृतका दीपक जलता है। दुग्धमे प्रच्छाल होता है और केशर, फूल चढ़ता है। एक मंदिरजीमें १ लालवर्ण, १ श्वेतवर्ण, १ श्यामवर्ण ये तीन प्रतिमा पद्मामन बहुत बड़ी हैं, और प्रतिमा भी अधिक हैं। यहांपर १० घर दि. नोंके हैं, धर्मशाला प्राचीनकालकी बनी है। यहांकी यात्रा करके कुरम या अमरावती आवे । फिर रेलमें बैठकर नागपुर जाना चाहिये । टिकिटका दाम १) लगता है, बीचमें धामणगांव म्टेशन पड़ता है । अगर यात्राकी इच्छा हो तो उतर पड़े, फिर बीचमें वर्धा पड़ता है। यहां १ धर्मशाला और १ पाठशाला, मन्दिर भी है। नियोंकी वस्ती बहुत है, फिर नागपुर जावे । स्टेशन नागपुर जंकशन है, दीतवारे वागारमें २ धर्मशाला हैं, सो जंकशन उतरना चाहिये वहासे २ मील धर्मशाला पड़ती है, और दीतवारी उत नेमे आप मील पड़ती है, चाहे महापर