________________
[३६]
प्राचीनकाल का है। यहां से बिहार शरीफ जाना चाहिए, जहां एक दि० जैन मन्दिर में दर्शनीय जिनबिम्ब हैं। बिहार शरीफ से नालन्दा को बस. टैक्सी मिलती हैं। वहां से तांगे मिलते हैं। नालन्दा से बड़गांव तीन मील दूर है।
कुण्डलपुर कहते हैं कि यह कुण्डलपुर अन्तिम तीर्थङ्कर भ० महावीर का जन्म स्थान है, परन्तु इतिहासज्ञ विद्वानों का मत है कि मुजफ्फरपुर जिले का बसाढ़ नामक स्थान प्राचीन कुण्डग्राम है, जहां भगवान् का जन्म हुआ और अब यह सर्वसम्मति से भ० महावीर का जन्म स्थान भान लिया गया है। यह स्थान प्राचीन नालंदा है; जहाँ पर भ० महावीर का सुखद विहार हुआ था। यहाँ एक दि० जैन मन्दिर में भ० महावीर की अति मनोहर दर्शनीय प्रतिमा है। इस स्थान पर जमीन के अन्दर से एक विशाल जिनमूति निकली है, जो देखने योग्य है । यहाँ से राजगृह जाना चाहिये।
राजगृह-पंचशैल (पंचपहाड़ी) राजगृह नगर भ० महावीर के समय में अत्यन्त समुन्नत और विशाल नगर था। शिशुनागवंशी सम्राट श्रेणिक बिम्बसार की वह राजधानी था। भ० महावीर के सम्राट श्रेणिक; अनन्य भक्त थे। जब-२ भ० महावीर का समोशरण राजगह के निकट अवस्थित विपुलाचल पर्बत पर पाया तब-तब वह उनकी वन्दना करने गये। उन्होंने वहाँ कई जिन मन्दिर बनवाये। वहाँ पर दि० जैन मुनिसंघ प्राचीन काल से विद्यमान था। सम्राट श्रेणिक के समय की शिलालेख और कीर्तियाँ यहाँ से उपलब्ध हुई हैं, जिनमें किन्हीं पर उनका नाम भी लिखा हुआ है। निस्सन्देह यह राजगृह प्राचीनकाल से जैनधर्म का केन्द्र रहा है। भ० महावीर का धर्मचक्र प्रवर्तन