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[ ३७ ] जिनमन्दिर बनाये गये थे, जो अब खण्डहर की हालत में पड़े हैं। उनमें से एकमें पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा अब भी विराजमान है। ग्राम में उत्तर की ओर एक मानस्तम्भ दर्शनीय हैं, जिस पर तीर्थंकरों की दिगम्बर प्रतिमायें अंकित हैं। इसे सम्राट स्कन्दगुप्त के समय में मद्र नामक ब्राह्मण ने निर्माण कराया था इस अतिशययुक्त स्थान का जीर्णोद्धार होना चाहिये ।
श्रावस्ती (सहेठ महेठ) ___ गोंडा जिला के अन्तर्गत बलरामपुर से पश्चिम में १२ मील पर सहेठ-सहेठ ग्राम ही प्राचीन श्रावस्ती है । यहां तीसरे तीर्थकर सभवनाथ जी का जन्म हुआ था। यहां खुदाई में अनेक जिनमूर्तियां निकली हैं जो लखनऊ के अजायबघर मे मौजूद हैं। यहाँ का सुहृदध्वज (सुहेलदेव) नामक राजा जैन धर्मानुयायी था। उसने संयदसालार को युद्ध में परास्त करके मुसलमानों के आक्रमण को निष्फल किया था।
पारा पारा बिहार प्रान्त का मुख्य नगर है। चौक बाजार में बा० हरप्रसाद की धर्मशाला में ठहरना चाहिए। इस धर्मशाला के पास एक जिनचैत्यालय है, जिस में सोने अोर चांदी की प्रतिमायें दर्शनीय हैं। अपने प्राचीन मनोज्ञ मन्दिरों के कारण ही यह स्थान प्रसिद्ध है। यहां १४ शिखरबन्द मन्दिर और १३ चैत्यालय हैं। एक शिखरबन्द मन्दिर शहर से ८ मील की दूरी मसाढ़ ग्राम में है और दो शिखरबन्द मन्दिर धनुपुरा में शहर से दो मील दूर हैं। यहीं पर धर्मकुन्ज में श्रीमती प० चंदाबाई द्वारा संस्थापित "जन महिलाश्रम" है, जिसमें दूर-दूर से पाकर महिलायें शिक्षा ग्रहण करके विदुषी बनती हैं। वहीं एक कृत्रिम पहाड़ी पर श्री बाहुबलि भगवान की ११ फीट ऊँची खड़गासन प्रतिमा