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[३६] जरी का कपड़ा प्रसिद्ध हैं। यहां से सिंहपुर (सारनाथ) और चन्द्रपुरी के दर्शन करने के लिए जाना चाहिए।
सिंहपुरी सिंहपुरी बनारस से ५ मील दूर हैं । यहां श्री धेयांसनाथ भ० का जन्म हुआ था। एक विशाल जिनमन्दिर है, जिसमें श्रेयांसनाथ जी की मनोहर प्रतिमा विराजमान है । सारनाथ के अजायबघर में यहां खुदाई में निकली हई प्राचीन दि० जैन मूर्तियां भी दर्शनीय हैं। अशोक का स्तम्भ मन्दिर जी के सामने ही खड़ा है। पास में ही बौद्धों के दर्शनीय विहार बने हैं। जैन धर्म प्रचार के लिए एक उपयोगी पुस्तकालय स्थापित किया जाना आवश्यक है। यहां से चन्द्रपुरी जावे।
चन्द्रपुरी गंगा किनारे बसा हुआ एक छोटा सा चन्द्रौरी गांव प्राचीन चन्द्रपुरी की याद दिलाता है। यहीं गंगा किनारे सुदृढ़ और मनोहर दि. जैन मन्दिर और धर्मशाला बनी हुई है। यहीं चन्द्रप्रभु भ० का जन्म हुआ था। स्थान अत्यन्त रमणीक है। उसी मोटर से बनारस आवे और वहां से सीधा पारा जावे । किन्तु जो यात्रीगण श्रावस्ती और कहाऊँ गांव के दर्शन करना चाहें, उन्हें लखनऊ से देवरिया जाना चाहिए।
किष्किन्धापुर वर्तमान का खूरवन्दोग्राम प्राचीन किष्किन्धापुर अथवा काकंदीनगर है। यहां पुष्पदन्त स्वामी के गर्भ और जन्म कल्याणक हुए हैं और उन्हीं के नाम का एक मन्दिर है। देवरिया से यहाँ पाया जाता है।
ककुभग्राम ____ ककुभग्राम अब कहाऊ गांव नाम से प्रसिद्ध है । गोरखपुर से बह ४६ मील की दूरी पर है । गुप्तकाल में यहां अनेक दर्शनीय