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[ १०६] जैसा कि सं० १११२ के १४ पंक्त्यात्मक एक लेख से स्पष्ट है। इस मन्दिर की उक्त संवत् में पौरपट्ट (परवार) वंश में समुत्पन्न साहु महेश्वर के पुत्र शाह धर्म ने प्रतिष्ठा करवाई थी। यहां और भी अनेक मूर्तियां हैं, उनमें संवत् १२३२ और १३४५ की प्रतिष्ठित हैं । इस क्षेत्र का प्राचीन इतिहास भी संकलित होना आवश्यक है। श्रावक शिरोमणि श्री साहू शान्ति प्रसाद जी द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया गया है।
अतिशय क्षेत्र सिरौन झांसी जिलान्तर्गत बम्बई रेलवे लाईन पर जखौरा स्टेशन से १२ मील की दूरी पर 'सिरौन' नाम का ग्राम बसा हुमा है। गांव में एक शिखरबन्द मन्दिर है। गांव से थोड़ी दूर पर एक खण्डहर में ४-५ मन्दिरों का समूह हैं, जिनमें से एक बड़ा मन्दिर
और चार छोटे मन्दिर हैं । बड़े मन्दिर की वेदी दो फुट ऊँची है, जिस पर तीन-तीन श्याम वर्ण पाषाण की शान्तिनाथ भगवान की मूर्तियां विराजमान हैं। दूसरे मन्दिर में भी श्यामवर्ण पाषाण की दो प्रतिमायें विराजमान हैं, जिनके आगे इन्द्र बने हुए हैं। तीसरा मन्दिर छोटा सा है परन्तु उसके भीतर १६ फुट ऊँची खड्गासन शान्तिनाथ भगवान की दीवाल से सटों हुई दिव्य विशाल मूर्ति विराजमान है। इस मूर्ति के दायें बाएं तीन-तीन फुट की ऊँची खड्गासन प्रतिमायें विरामान हैं और उनके ऊपर दोनों पार दो-दो फुट ऊंची प्रतिमायें भी हैं।
चौथे मन्दिर के मध्य का प्रांगण गुम्बजदार है उसकी वेदी में ४ फुट ऊंची दो पद्मासन मूर्तिया विराजमान हैं और दीवालों पर चारों पोर मूर्तियां उत्कीणित हैं।
पांचवें मन्दिर जी में एक पद्मासन मूर्ति दो फुट की और दूसरी खड्गासन डेढ़ फुट की प्रतिष्ठित हैं। इनके सिवाय प्रांगन