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जैन-दर्शन
हैं-रूपी और अरूपी। रूपी द्रव्य को पुद्गल कहा गया। अरूपी के पुनः चार भेद हुए-धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, प्रद्धासमय-काल । इस प्रकार द्रव्य के कुल ६ भेद हो जाते हैं----जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और अद्धासमय । इन छ: द्रव्यों में से प्रथम पांच द्रव्य अस्तिकाय हैं और छठा अस्तिकाय नहीं है। भेद-प्रभेद का स्पष्ट विवरण इस प्रकार है :
द्रव्य
-
१ जीव
__
.:.
२ अजीव
रूपी २ पुद्गल .
अरूपी ३ धर्म .. ४ अधर्म
५ आकाश .
६ अद्धा समय (२)
.
अस्तिकाय . .
. अनस्तिकाय
१. जीव
६. अद्धासमय . .
..
२. पुद्गल ३. धर्म
. .
.
..
.
....: .
४. अधर्म ५. आकाश
१-भगवतीसूत्र २।१०।११७, स्थानांग सू०.५१४४.१.. :.::