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२८८ : जैन तर्कशास्त्र में अनुमान-विचार अकलङ्कदेव लघीयस्त्रय
सिंधी जैन ग्रन्थमाला (वि. ७ वी.) (स्ववृत्तिसहित ) अकलंक ग्रन्थत्रयके अन्तर्गत
न्यायविनिश्चय (स्ववृत्तिस.) , प्रमाणसंग्रह (स्ववृत्तिसहित) सिद्धिविनिश्चय ( स्वोपज्ञवृत्तिसहित )
।
भारतीय जी
भारतीय ज्ञानपीठ काशी अष्टशतो (आप्तमीमांसावृत्ति) गांधीनाथारंग जैन ग्रन्थमाला
तत्त्वार्थवात्तिक सभाष्य भारतीय ज्ञानपीठ काशी हरिभद्र (वि. ८ वीं शती) अनेकान्तजयपताका गायकबाड़ सीरिज बड़ौदा
अनेकान्तवादप्रवेश षड्दर्शनसमुच्चय
आत्मानन्द सभा भावनगर शास्त्रवार्तासमुच्चय देवचन्द लालभाई सूरत
न्यायप्रवेशटीका गायकबाड़ सीरिज बड़ौदा कुमारसेन ( वि. ७७०)
जिनसेनद्वारा 'महापुराणमें
और विद्यानन्दद्वारा अष्ट
सहस्रीमें स्मृत सिद्धसेन (न्यायावतारकार) न्यायावतार
प्रकाशित ( वि. ८ वी श.) कुछ द्वात्रिंशतिकाएं कुमारनन्दि वादन्याय
विद्यानन्दद्वारा प्रमाण( वि. ८वीं श.)
परीक्षामें उल्लिखित वादीभसिंह स्याद्वादसिद्धि
मा० दि० जैन ग्रन्थमालासे ( वि. ८ वीं श.)
प्रकाशित नवपदार्थनिश्चय मुडविद्री भण्डार अनन्तवीर्य ( वृद्ध ) सिद्धिविनिश्चयटीका रविभद्रपादोपजीवि अनन्त( वि. ८-९ वी शती)
वीर्यद्वारा सिद्धिविनिश्चिय
टोकामें निर्दिष्ट अनन्तवीर्य
सिद्धिविनिश्चयटीका भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी रविभद्रपादोपजीवि ( वि. ९ वीं शती)
१. विशेषके लिए देखिए, मेरे द्वारा सम्पादित और माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला द्वारा प्रकाशित स्यादादसिद्धिको प्रस्तावना।