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२-व्य गुण पर्याय
२-व्याधिकार १०८. तुम्हारे शरीर में कितने भूत हैं दर्शाओ ?
पांचों भूतों से मिलकर शरीर बना है । चमड़ा हड्डी व मांस ठोस होने से पृथिवी हैं; रक्त मूत्र पसेव जल हैं ; भीतर संचार करने वाली वायु है, उदराग्नि जठराग्नि व कान्ति तेज है और शरीर की भीतरी पोलाहट आकाश है । यह सब स्थूल रूप से बताया गया है, वास्तव में हड्डी आदि ये
सभी पदार्थ पृथक पृथक पंच भौतिक हैं। १०६. पुद्गल के भेदों में वास्तविक द्रव्य क्या है ?
परमाणु ११०. पुद्गल द्रव्य कितने हैं ?
अनन्तानन्त हैं। १११. पुद्गल स्कन्ध कितने हैं ?
सूक्ष्म स्कन्ध अनन्त हैं और स्थूल स्कन्ध असंख्यात । ११२. पुद्गल द्रव्य की स्थिति कहां है ?
समस्त लोकाकाश में भरे हुए हैं। ११३. अनन्तानन्त द्रव्य छोटे से लोक में कैसे समावें? .
सूक्ष्म होने के कारण एक दूसरे में समाकर रह जाते हैं; स्थूल
होकर नहीं रह सकते। ११४. क्या पुद्गल द्रव्य सिद्ध लोक में हैं ? हां, सूक्ष्म स्कन्ध व परमाणु वहां भी हैं ।
(३. धर्म द्रव्य) (११५) धर्म द्रव्य किसको कहते हैं ? ।
गति रूप परिणमे जीव और पुद्गल को जो गमन में सहकारी
हो, उसे धर्म द्रव्य कहते हैं, जैसे—मछली को जल । ' ११६. धर्म द्रव्य के लक्षण में से 'गति रूप परिणमे ये शब्द निकाल
दें तो क्या दोष आये ? धर्म द्रव्य सहकारी न रहकर प्रेरक बन जाये अर्थात् जबरदस्ती
गमन कराने लगे। ११७. धर्म द्रव्य के लक्षण में से 'जीव व पुद्गल' ये शब्द निकाल दें