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२-द्रव्य गुण पर्याय ४६ २/१-सामान्य अधिकार
द्रव्य का भाव सर्वगुणात्मक है और गुण का भाव एक गुणात्मक । ११२. आठों अपेक्षाओं से द्रव्य व पर्याय में भेदाभेद वर्शाओ। (क) संज्ञा की अपेक्षा भेद है, क्योंकि दोनों को भिन्न नामों
से व्यक्त किया जाता है । एक का नाम 'द्रव्य' है
और दूसरे का 'पर्याय'। (ख) संख्या की अपेक्षा भेद है, क्योंकि द्रव्य एक है और
उसमें रहने वाली पर्यायें अनेक । जितने गुण उतनी ही
पर्यायें। (ग) लक्षण की अपेक्षा भेद है, क्योंकि द्रव्य का लक्षण है 'गुणों
का समूह' और पर्याय का लक्षण 'गण का विकार'। (घ) प्रयोजन की अपेक्षा भेद है, क्योंकि द्रव्य से त्रिकालगत
अनेक कार्य की सिद्धि होती है, परन्तु पर्याय से केवल एक कार्य की, जैसे पुद्गल से लोहा सोना आदि सब
की सिद्धि होती है पर सोने से केवल सोने की। (च) स्वद्र व्य की अपेक्षा अभेद है, क्योंकि जो विवक्षित
आधार द्रव्य का वही उसकी पर्याय का। जैसे जीव
अपनी मतिज्ञान पर्याय का स्वयं आधार है। (छ) स्वक्षेत्र की अपेक्षा अभेद है, क्योंकि गुणों की भांति वे
भी द्रव्य के सम्पूर्ण भागों में रहती हैं, इस लिये जो प्रदेश द्रव्य के हैं वही उसकी पर्याय के हैं। जैसे मतिज्ञान जीव
में सर्वत्र रहता है। (ज) स्वकाल की अपेक्षा दो विकल्प हैं -१ पर्याय
व्यक्ति के काल में दोनों का काल समान होने से अभेद है, २ स्थिति की अपेक्षा भेद है, क्योंकि द्रव्य त्रिकाल स्थायी
है पर्याय क्षण स्थायी। (झ) स्वकाल की अपेक्षा दो विकल्प हैं-१. आंशिक रूप से
अभेद है ; २ गैरपूर्ण रूप से भेद । जैसे कि द्रव्य व गुण
की तुलना करते हुए कह दिया गया। ११३. आठों अपेक्षाओं से गुण व पर्याय में भेदाभेद दर्शाओ।