________________
२-प्रम्य गुण पर्याय
२/१-सामान्य अधिकार (क) संज्ञा की अपेक्षा भेद है, क्योंकि दोनों को भिन्न शब्दों
द्वारा व्यक्त किया जाता है। एक का नाम 'गुण' है और दूसरे का 'पर्याय'। संख्या की अपेक्षा दो विकल्प हैं-१.भ'द है, क्योंकि गुण एक है और उसकी विकाली पर्याय अनेक । जैसे रस गुण एक है और उसकी खट्टी मीठी पर्याय अनेक । २. अभेद है, क्योंकि गुण भी एक है और वर्तमान समय
में उसकी पर्याय भी एक है। (ग) लक्षण की अपेक्षा भेद है, क्योंकि गुण का लक्षण है जो
द्रव्य के सम्पूर्ण भागों व सर्व हालतों में रहे' और पर्याय का लक्षण है ‘गुण का विकार' । प्रयोजन की अपेक्षा भेद है, क्योंकि गुण से उसकी सर्व पर्यायों की कार्य सिद्धि होती है और पर्याय से केवल एक अपनी । जैसे रस से खट्टे मीठे आदि सभी स्वाद
सिद्धि होते हैं। पर खट्टे से केवल खट्टा। (च) 'स्व द्रव्य' की अपेक्षा अभेद है, क्योंकि गुण व पर्याय दोनों
का आधार वही एक विवक्षित द्रव्य है। आम का रस गुण व मीठी पर्याय दोनों ही का आधार वही एक आम
(छ) 'स्व क्षेत्र' की अपेक्षा अभेद है, क्योंकि दोनों ही द्रव्य के
सम्पूर्ण भागों में रहते हैं । आम में रस भी सर्वत्र है और
उसका मीठा स्वाद भी। (ज) 'स्व काल' की अपेक्षा दो विकल्प हैं-१. अभेद है,
क्योंकि वर्तमान समय में दोनों की सत्ता है । २. भेद है, क्योंकि गुण त्रिकाल है और उसकी पर्याय क्षण स्थायी । जैसे आम में रस सर्वदा रहता है पर मीठा
पना कुछ समय मात्र । (झ) 'स्व-भाव' की अपेक्षा दो विकल्प हैं-१. अभेद है