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२-न्य गुण पर्याय
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२/१-सामान्य अधिकार ३४. महासत्ता किसे कहते हैं ?
(सर्व द्रव्य सन्मात्र हैं । इस प्रकार विश्व में एक सत् ही दिखाई देता है। ऐसी विश्वव्यापिनी एक अखण्ड सत्ता को महासत्ता कहते हैं) समस्त पदार्थों के अस्तित्व गुण के ग्रहण करने वाली
सत्ता को महासत्ता कहते हैं। ३५. अवान्तर सत्ता किसे कहते हैं ?
किसी एक विवक्षित पदार्थ की सत्ता को अवान्तर सत्ता
कहते हैं। ३६. द्रव्य के स्वचतुष्टय दर्शाओ।
द्रव्य में चार बातें पाई जाती हैं-द्रव्य, क्षेत्र, काल व भाव ।
इन्हें ही द्रव्य का स्वचतुष्टय कहते हैं । ३७. स्वचतुष्टय के पृथक-पृथक लक्षण करो।
गुणों का अधिष्ठान वह द्रव्य ही स्वयं 'द्रव्य' है, क्योंकि गुण द्रव्य के आश्रय रहते हैं । द्रव्य की लम्बाई चौड़ाई मोटाई आदि अथवा उसके आकार की रचना करने वाले उसके अपने प्रदेश ही उसका 'स्वक्षेत्र' हैं। द्रव्य की परिवर्तनशील पर्याय काल सापेक्ष होने से उसका 'स्व काल' है । तथा द्रव्य के गुण का
अथवा उसकी वर्तमान पर्याय को उसका 'स्व-भाव' कहते हैं। ३८. क्या द्रव्यादि चतुष्ट पर भी होते हैं, जो कि यहां 'स्व' विशेषण
लगाने की आवश्यकता पड़ी? हाँ, विवक्षित द्रव्य के अतिरिक्त जितने भी जीव अजीव अन्य द्रव्य हैं वे ही 'पर द्रव्य' हैं। अपने प्रदेशों से या तद्रचित आकृति से अतिरिक्त नगर ग्राम घर बर्तन सन्दुक आदि जितने भी क्षेत्र वाचक पदार्थ हैं वे सब 'पर-क्षेत्र' हैं। अपनी पर्याय के अतिरिक्त दिन रात घण्टा घड़ी पल आदि सब 'पर-काल' हैं। एक द्रव्य के गुण व वर्तमान पर्याय दूसरे द्रव्य के लिये 'परभाव' हैं, जैसे कि दूध में तरलता, क्योंकि वास्तव में दूध की नहीं बल्कि उसके साथ रहने वाली पानी की है, जो अग्नि पर रखने से उससे निकल जाती है ।