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सप्तम अध्याय
(स्याद्वाद) ७/१ वस्तु स्वरूपाधिकार
(सामान्य विशेष) १. सामान्य किमको कहते हैं ?
अनेकता में रहने वाली एकता को सामान्य कहते हैं, जैसे
अनेक मनुष्यों में एक मनुष्यत्व । २. सामान्य कितने प्रकार का है ?
दो प्रकार का तिर्यग्सामान्य और ऊर्ध्वता सामान्य । ३. तिर्यग्सामान्य किसको कहते हैं ?
एक समयवर्ती अनेक पदार्थों में रहनेवाली एकता को तिर्यर
सामान्य कहते हैं, जैसे अनेक मनुष्यों में एक मनुष्यत्व । ४. उर्ध्वता सामान्य किसको कहते हैं ?
एक पदार्थ की भिन्न समयवर्ती अनेक पर्यायों में रहने वाली एकता को उर्ध्वता सामान्य कहते हैं; जैसे दूध, दही, छाछ, घी,
आदि पर्याय में एक मोरसत्व । ५ विशेष किसको कहते हैं ?
एकता में रहने वाली अनेकता को विशेष कहते हैं। जैसे मनुष्य
जाति कहने पर अनेक मनुष्यों का ग्रहण होता है। ६. विशेष कितने प्रकार का है ?
दो प्रकार का-व्यतिरेकी विशेष और पर्याय विशेष । ७. व्यतिरेकी विशेष किसको कहते हैं ?
एक जाति में रहने वाले अनेक व्यक्तियों को व्य तिरेकी विशेष