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७-स्याद्वाद
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१-वस्तु स्वरूपाधिकार कहते हैं, जैसे एक मनुष्यत्व जाति में अनेक मनुष्य । ८. व्यतिरेक किसको कहते हैं ? __ प्रदेशों की पृथकता को व्यतिरेक कहते हैं। ६. पर्याय किसको कहते है ?
प्रदेशों से अपृथ रहने वाले द्रव्य के विशेष को पर्याय कहते हैं । १०. पर्याय रूप विशेष कितने प्रकार का है।
दो प्रकार का-सहभावी पर्याय और क्रमभावी पर्याय । ११. सहभावी पर्याय किसको कहते हैं ?
द्रव्य के अनेक गुण उसके सहभावी पर्याय या सहभावी विशेष हैं, क्योंकि वे द्रव्य में एक साथ रहते हैं, जैसे जीव में ज्ञान दर्शन आदि। क्रममावी पर्याय किसको कहते हैं ? द्रव्य व गुण की उत्पन्नध्वंसी अवस्था में उसके क्रम भावी पर्याय या क्रमभावी विशेष हैं, क्योंकि आगे पीछे होती हैं;
जैसे सूख दुख आदि। १३. सामान्य व विशेष कहां रहते हैं ?
पदार्थ में। १४. क्या पदार्थ में इनकी सत्ता पृथक-पृथक है ?
नहीं, एकमेक है । अर्थात पदार्थ सामान्य-विशेषात्मक ही होता
है। जो पदार्थ सामान्य रूप है वही विशेष रूप है। १५. सामान्य व विशेष दोनों विरोधी बातें एक साथ कैसे रहें ?
ये परस्पर विरोधी नहीं है बल्कि एक ही पदार्थ के दो धर्म हैं । वास्तव में बिशेष से रहित सामान्य या सामान्य से रहित विशेष अवस्तुभूत कल्पना मात्र है । जैसे कि द्रव्य से पृथक गुण कोरी
कल्पना है। १६ सामान्य और विशेष में अविरोध की सिद्धि करो। (क) जो यह जाति रूप तिर्यक् सामान्य है वह अपने व्यक्तियों
रूप व्यतिरेकी विशेषों में अनुगत हुआ ही देखा जा सकता है, उससे पृथक नहीं, जैसे मनुष्यत्व मनुष्यों में