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१-न्याय
२-प्रत्यक्ष प्रमाणाधिकार
६. एक देश स्पष्ट जानने से क्या तात्पर्य ?
वस्तु की सर्व विशेषताओं को न जानकर कुछ मात्र को ही जानना एक देश जानना है, जैसे नेत्र द्वारा देखने पर वस्तु का
रूप तो दिखाई देता है पर रस नहीं। (१०) पारमार्थिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ?
जो बिना किसी की सहायता के पदार्थ को स्पष्ट जाने । ११. बिना इन्द्रिय व प्रकाश की सहायता के स्पष्ट कैसे जाना जा
सकता है ? विशेष प्रकार के ज्ञान द्वारा स्पष्ट जाना जा सकता है। इस
प्रकार का ज्ञान प्रायः बड़े बड़े तपस्वियों को हआ करता है। (१२) पारमार्थिक प्रत्यक्ष के कितने भेद हैं ?
दो भेद हैं-एक विकल पारमार्थिक दूसरा सकल पारमार्थिक । (१३) विकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष किसको कहते हैं ?
जो रूपी पदार्थों को बिना किसी की सहायता के स्पष्ट जाने । १४. विकल प्रत्यक्ष द्वारा छहों द्रव्यों में से कौन सा द्रव्य जाना जा
सकता है और क्यों ? केवल पुद्गल द्रव्य या तत्संयोगी भाव जाने जा सकते हैं,
क्योंकि वही रूपी हैं। (१५) विकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष के कितने भेद हैं ?
दो भेद हैं-एक अवधि ज्ञान दूसरा मनःपर्यय ज्ञान । (१६) अवधि ज्ञान किसे कहते हैं ?
द्रव्य क्षेत्र काल व भाव की मर्यादा लिये जो रूपी पदार्थों को स्पष्ट जाने। (इसके विशेष विस्तार के लिये आगे देखो अध्याय
२ का चतुर्थ अधिकार) १७. द्रव्य क्षेत्र काल भाव की मर्यादा से क्या समझते हो ? क. अमूर्तीक को न जानकर मात्र मूर्तीक को जाने, तथा मूर्तीक में भी स्थूल को ही जाने सूक्ष्म को नहीं, यह द्रव्य की मर्यादा
ख. लोक में स्थित को ही जाने, अलोक में स्थित को नहीं । लोक