________________
१/२ प्रत्यक्ष प्रमाणाधिकार
(१) प्रमाण किसे कहते हैं ?
सच्चे ज्ञान को प्रमाण कहते हैं। २. सच्चे ज्ञान से क्या तात्पर्य ? जैसी वस्तु हो उसको वैसी ही जानना, जैसे रस्सी को रस्सी
और सर्प को सर्प। ३. ज्ञान ही प्रमाण है, ऐसा कहने में क्या दोष है ?
यह लक्षण अतिव्याप्त है, क्योंकि मिथ्याज्ञान में भी चला
जाता है। ४. क्या ज्ञान मिथ्या भी होता है ?
हां, जैसे सीप को चान्दी, रस्सी को सर्प तथा ठूठ को मनुष्य
जानना। (५) प्रमाण के कितने भेद हैं ?
दो भेद हैं—एक प्रत्यक्ष दूसरा परोक्ष । (६) प्रत्यक्ष ज्ञान किसे कहते हैं ?
जो पदार्थ को स्पष्ट जाने । (७) प्रत्यक्ष के कितने भेद हैं ?
दो भेद हैं-एक सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष दूसरा पारमार्थिक
प्रत्यक्ष । (८) सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ? ।
जो इन्द्रियों और मन की सहायता से पदार्थ को एक देश स्पष्ट जाने।