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२-द्रव्य गुण पर्याय
५-पर्यायाधिकार ६४. शक्ति घट जाने से क्या समझे ?
जिस पर्याय में गुण की कुछ शक्ति व्यक्त रहे और कुछ अव्यक्त । जैसे घनाच्छादि सूर्य प्रकाश की कुछ शक्ति व्यक्त होती है और शेष ढकी रहती है ऐसे ही संसारी जीव के मति ज्ञानादि में व अल्प वीर्य में कुछ मात्र ही शक्ति व्यक्त होती
है, शेष नहीं। ६५. विकृत गुण से क्या समझे?
जिस पर्याय में गुण की शक्ति विपरीत दिशा में व्यक्त हो। जैसे दूध सड़ जाने की भांति जीव के सम्यक्त्व व चारित्र गुण विकृत होकर आनन्दरूप से व्यक्त होने की बजाये मिथ्यात्व
व व्याकुलता रूप बन जाते हैं। ६६. क्या आयफल को व्यञ्जन पर्याय उसके ऊपरी आकार में ही
होती है ? नहीं, व्यञ्जन पर्याय प्रदेशों की घनाकार रचना को कहते हैं,
जो भीतर व बाहर सर्वत्र रहती है । ६७. स्वभाव व्यञ्जन पर्याय के साथ विभाव अर्थ पर्याय रहे ऐसा
द्रव्य कौन ? ऐसा कोई द्रव्य सम्भव नहीं; क्योंकि व्यञ्जन पर्याय शुद्ध होने
पर तो सभी पर्याय अवश्य शुद्ध ही होती हैं । १८. विभाव व्यञ्जन पर्याय साथ स्वभाव अर्थ पर्याय रहे ऐसा द्रव्य
कौन सा? सम्यग्दृष्टि जीव अथवा अर्हन्त भगवान, इन दोनों की व्यञ्जन पर्याय विभाविक है पर सम्यग्दृष्टि का एक सम्यक्त्व गुण और अर्हन्त भगवान के ज्ञान, दर्शन, चारित्न, सुख, वीर्य आदि अनेक गुणों की स्वभाविक पर्याय होती है।