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२- द्रव्य गुण पर्याय
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(११ सुख)
( २०२) सुख किसको कहते हैं ?
आल्हाद स्वरूप आत्मा के परिणाम विशेष को सुख कहते हैं ( विशेष देखो अध्याय ५ अधिकार ) ।
२०३ . सुख कितने प्रकार का होता है ?
दो प्रकार का - ऐन्द्रिय सुख और दूसरा अतीन्द्रिय सुख । २०४ ऐन्द्रिय सुख किसे कहते हैं ?
पांचों इन्द्रियों के विषय भोगने से जो सुख होता है उसे ऐन्द्रिय सुख कहते हैं । यह सुख लौकिक होने से सर्व परिचित है । २०५. अतीन्द्रिय सुख किसे कहते हैं ?
४- जीव गुणाधिकार
स्वरूप स्थिरता द्वारा, जो ज्ञाता दृष्टा रूप स्वाभाविक भावमें जो निराकुलता व निर्विकल्पता उत्पन्न होती है. उसे अतीन्द्रिय सुख कहते हैं | अलौकिक होने से सम्यग्दृष्टि जीवों के परिचय में आता है ।
२०६. मोक्षमार्ग व मोक्ष में कौन सा सुख इष्ट है ?
अतीन्द्रिय ही स्वाभाविक व निराश्रय होने से वहां इष्ट है, क्योंकि पराश्रित होने से इन्द्रिय सुख तो अनेकों आकुलतायें उत्पन्न करने वाला है और इसलिये दुःख ही माना गया है । (१२ वीर्य)
( २०७) वीर्य किसको कहते हैं ?
आत्मा की शक्ति को वीर्य कहते हैं ।
२०८. आत्मा की शक्ति से क्या समझे ?
आत्मा की शक्ति उसके सर्व गुणों में ओत प्रोत है, जैसे जानने की हीनाधिक शक्ति, संकल्प शक्ति आदि ।
२०६. वीर्य कितने प्रकार का है ?
दो प्रकार का - शारीरिक व आत्मिक । अथवा तीन प्रकार का शारीरिक, व वाचासिक मानसिक ।