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२-द्रव्य गुण पर्याय
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३-गुणाधिकार
७. कौन द्रव्य ऐसा है जिसमें सामान्य गुण न हो ?
ऐसा कोई द्रव्य नहीं है, क्योंकि सामान्य गुण सभी द्रव्यों में
व्याप्त हैं। ८. कौन द्रव्य ऐसा जिसमें विशेष गुण न हों ?
ऐसा कोई द्रव्य नहीं है, क्योंकि प्रत्येक द्रव्य में अपने अपने विशेष गुण अवश्य हैं। ६. एक ही सामान्य गुण सब द्रव्यों में आकाशवत् व्याप्त है ?
नहीं, प्रत्येक द्रव्य में अपना अपना सामान्य गुण पथक पृथक है। सब द्रव्यों में पाये जाने वाले सामान्य गुण जाति की अपेक्षा एक एक हैं, इसी लिये सब द्रव्यों में व्यापना कहा है, आकाशवत् नहीं, जैसे—सर्व द्रव्यों में अपना अपना अस्तित्व
गुण है क्योंकि वे सब सत् हैं। १०. सामान्य गुण के मानने से क्या लाभ ?
सामान्य गुण से द्रव्य की सिद्धि होती है । ११. विशेष गुण को मानने से क्या लाभ ?
विशेष गुणों से द्रव्य में जाति भेद होता है । १२. सामान्य गुण न माने तो?
द्रव्य का अस्तित्व ही सिद्ध न हो। १३. विशेष गण न मानें तो?
द्रव्यों में जाति भेद न हो । सर्व संकर का प्रसंग आये । १४. सामान्य गण को अन्य क्या नाम दे सकते हैं ?
'त्व' प्रत्यय सहित होने से इसे स्वभाव कह सकते हैं: प्रथा
अस्तित्व स्वभाव । १५. सामान्य व विशेष गुणों के लक्षणों को गुण की व्याख्या में
लगाओ। जो सर्व द्रव्यों के पूरे हिस्से में व उनको सर्व अवस्थाओं में रहे उनको सामान्य गुण कहते हैं। और जो सर्व द्रव्यों में न रह कर अपनी अपनी जाति के द्रव्यों के पूरे पूरे हिस्से में और उनकी सर्व हालतों में रहे, उसे विशेष गुण कहते हैं ।