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२-द्रव्य गुण पर्याय
२-द्रव्याधिकार २१६. अर्थ, पादार्थ, द्रव्य, तत्व, वस्तु व सत् इनमें क्या अन्तर है ?
द्रव्य, गुण, पर्याय तीनों पृथक पृथक अथवा युगपत 'अर्थ' व ‘पदार्थ' शब्द वाच्य हैं। गुण व पर्याय का आश्रयभूत प्रदेशात्मक पदार्थ 'द्रव्य' शब्द वाच्य है। द्रव्य के स्वभाव व विभाव 'तत्व' शब्द वाच्य हैं। द्रव्य में प्रयोजनभूतपने को 'वस्तु' शब्द प्रगट करता है। और द्रव्य का उत्पाद व्यय ध्रुवता को सत् शब्द से दर्शाया जाता है। (और भी देखें पीछे अध्याय २ में प्रथम अधिकार के अन्तर्गत 'द्रव्य' की व्याख्या में प्रश्न
नं० २१) २२० द्रव्य को द्रव्य वस्तु अर्थ पदार्थ तत्व व सत् क्यों कहा जाता है ?
प्रदेशात्म होने के कारण अर्थात परिमन शील होने के कारण द्रव्य, प्रयोजनभूत कार्य करने से वस्तु, गुण-पर्यायवान होने से अर्थ व पदार्थ, स्वभाववान होने से तत्व और सत्तावान होने से
सत् कहा जाता है। २२१. द्रव्य के दो प्रधान अंग कौन से हैं ? पथक पृथक दर्शाओ।
विश्लेषण द्वारा द्रव्य में दो प्रधान विभाग प्राप्त होते हैं-- द्रव्य व भाव । (विशेष देखो पीछे मामान्याधिकार में 'द्रव्य' नामक
द्वितीय विभाग के अन्तर्गत प्रश्न नं० ३६-४०) २२२. परिस्पन्दन. क्रिया व परिणमन में क्या अन्तर है ?
(देखो पीछ सामान्याधिकार के 'पर्याय नामक चतुर्थ विभाग में प्रश्न नं०६८-७०)
प्रश्नावली नोट:-सर्व अधिकार व विभाग ही स्वयं प्रश्नावली हैं।