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२-द्रव्य गुण पर्याय
२-द्रव्याधिकार (ख) पुद्गल के अवयव रूप रस गन्ध स्पर्श आदि भाव व उसके
प्रदेश या परमाणु। (ग) धर्मास्तिकाय के अवयव उमका गति हेतुत्व भाव व
उसके असंख्यात प्रदेश । (घ) अधर्मास्ति के अवयव उसका स्थिति हेतुत्व भाव और
उसके असंख्यात प्रदेश । (च) आकाश द्रव्य के अवयव उसका अवगाहन हेतृत्व भाव
और उसके अनन्त प्रदेश। (छ) काल द्रव्य के अवयव उमका परिणमन हेतुत्व रूप भाव
ही है प्रदेश नहीं। २१५. सबसे बड़ा द्रव्य कौन सा?
द्रव्य की अपेक्षा पुद्गल मबसे बड़ा है, क्योंकि उसकी संख्या सबसे अधिक है । क्षेत्र की अपेक्षा आकाश सबसे बड़ा है क्योंकि उसके प्रदेश सबसे अधिक हैं । काल की अपेक्षा मभी समान हैं, क्योंकि सभी त्रिकाली हैं। भाव की अपेक्षा जीव सबसे बड़ा है क्योंकि ज्ञान के अविभाग प्रतिच्छेद मवमे अधिक हैं तथा सर्वग्राहक हैं। कौन से द्रव्य ऐसे हैं जो स्व व पर दोनों को निमित्त हैं ? जीव पुद्गल आकाश व काल ये चारों स्व व पर दोनों को निमित हैं। जीव द्रव्य स्व व पर दोनों को जानता है, एक दूसरे का उपकार करता है तथा विवेक द्वारा अपना भी। पुद्गल द्रव्य शरीरादि के द्वारा जीव का उपकार करता है और स्कन्ध बनाकर अपना भी। आकाश द्रव्य स्व व पर दोनों को अवकाश देता है । काल द्रव्य म्व व पर दोनों को परिणमन
कराता है। २१७. कौन से द्रव्य ऐसे हैं जो पर को ही निमित्त हैं स्व को नहीं ?
धर्म व अधर्म द्रव्य जीव व पुद्गल को ही गति व स्थिति कराने
में निमित्त हैं, अपने को नहीं, क्योंकि वे विकाल स्थायी हैं । २१८. ऐसे द्रव्य बताओ जो अरूपी भी हों और अचेतन भी।
चार हैं-धर्म, अधर्म, आकाश और काल ।