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________________ जैन सिद्धान्त दीपिका ३८. सामान्य गुण के छः भेद हैं१. अस्तित्व ४. प्रमेयत्व ५. प्रदेशवत्त्व २६ २. वस्तुत्व ३. द्रव्यत्व ६. अगुम्न्नघुत्व अस्तित्व - जिस गुण के कारण द्रव्य का कभी विनाश न हो । वस्तुत्व -- जिम गुण अवश्य करे । द्रव्यत्व - जिम गुण के कारण द्रव्य मदा एक मरीया न रहकर नवीन नवीन पर्यायों को धारण करता रहे । के कारण द्रव्य कोई न कोई अर्थक्रिया प्रमेयत्व जिस गुण के कारण द्रव्य ज्ञान के द्वारा जाना जा सके । प्रदेशवत्त्व --- जिम गुण के कारण द्रव्य के प्रदेशों का माप हो सके । अगुरुलघुत्व जिस गुण के कारण द्रव्य अपने स्वरूप में स्थित रहे । उसके अनन्न गुण बिबरकर अलग-अलग न हो जाए । ३६. विशेष गुण सोलह प्रकार के हैं- गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, अवगाहेतुत्व, वर्तनाहेतुत्व, स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, ज्ञान, दर्शन, मुख, वीर्य, चेतनन्त्र', अचेतनत्व, मूनंन्त्र और अमूनंत्व | १. चेतनत्व, अचेतनत्व, मूनंत्व और अमूर्त्तत्व--- ये चार गुण अस्तित्व आदि की तरह सब द्रव्यों में नहीं मिलते, अतः इनको विशेष गुण कहते है ।
SR No.010307
Book TitleJain Siddhant Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1970
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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