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जैन सिद्धान्त दीपिका
वस्तु का वह अंश देश कहलाता है, जो वस्तु से पृषक नहीं होता किन्तु उपयोगितावश उसके अंग होने की बुद्धि द्वारा कल्पना की जाती है।
३१. वस्तु के निरंश अश को प्रदेश करते है।
प्रदेश पग्माण के बगबर होता है। इसका दूसरा नाम अविभागी परिमोद है। परमाणु एक सनात पदार्थ है अतः वह प्रदेश से भिन्न है।
१२. धर्मास्तिकाय और अधर्माग्निकाय मपूर्ण लोक में व्याप्त है।
३३. पुद्गल लोकाकाण के एक प्रदेश में कर समस्त लोकना व्याप्त है।
परमाणु लोक के एक प्रदेश में रहता है। पुद्गल म्बन्ध अनेक प्रकार के है, - हिप्रदेणी यावन् अनन्नप्रदेणी । वे योषित कप में लोक के एक प्रदेश में लेकर ममृच लोक तक व्याप्त है।
१४. जीवों का अवगाह लोकाकाश के एक अमन्यात भाग आदि में होना है।
प्रत्यक जीव म्वाभाविकतया कम में कम लोकाकाण के असंख्यान भाग को अवगाह कर रहना है। वह अमन्यानवां भाग भी अमंध्यप्रदेशवाला होता है। जीवों में उममे अधिक मंकुचित होने का प्रभाव नहीं है अत: व पुद्गल की तरह एक प्रदेश परिमाण वाले क्षेत्र में यावत् सम्यान प्रदेणात्मक क्षेत्र में