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नवम प्रकाश
१. पूर्व निर्दिष्ट नत्त्व प्रमाण, नय, निक्षेप आदि के द्वारा व्याकयेय
२. पपापंज्ञान को प्रमाण कहा जाता है।
प्रकृष्टरूप-मंशय और विपर्यय से रहित भाव से पदार्थ का जो मान (परिच्छंद) किया जाता है, वह प्रमाण है।
३. वस्तु के अन्य अंशों का निगकरण न करनेवाल तथा उसके एक
अंश को ग्रहण करने वाले ज्ञाता के अभिप्राय को नय कहा जाता है।
अनन्तधर्मात्मक वस्तु के विवक्षित अंश का ग्रहण तथा शेष अंशों का निराकरण न करने वाले प्रतिपादक का अभिप्राय नय कहलाता है।
४. गब्दों में विशेषण के द्वारा प्रतिनियत अयं का प्रतिपादन करने को शक्ति निहित करने को निक्षेप कहा जाता है।
प्रत्येक शब्द में असंख्य बों को पोतित करने की शक्ति