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पञ्चम प्रकाश
१. आश्रव के निरोध को संवर कहते हैं ।
आश्रव का निरोध कर्मागमन के द्वार का संवरण करने के कारण संवर कहलाता है।
२. संवर पांच है-सम्यक्त्व, विरति, अप्रमाद, अकषाय और
अयोग।
३. तत्व में तत्त्व की प्रतीति होने को सम्यक्त्व कहते हैं।
जिसका जैसा अस्तित्व है, उसे उसी रूप में स्वीकार करना सम्यक्त्व है।
४. वह पांच प्रकार का होता है-औपमिक, क्षायिक, क्षायोपगमिक, सास्वादन और वेदक।
अनन्तानुबन्धी चतुष्क और दर्णन मोहनीय त्रिक-सम्यक्त्व, मोहनीय, मित्रमोहनीय और मिथ्यात्वमोहनीय-इन सात प्रकृतियों के उपशान्त होने से प्राप्त होनेवाले सम्यवत्व को