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[१६] सामाजिक व्यक्तियोके सामने तीन प्रकारके कार्य होते है
१-विहित २-निपिद्ध
३-अविहित-अनिपिद्ध मोक्षकी दृष्टिसे
१-मोक्षकी आराधना विहित है। २-समाज-विरुद्ध कार्य निपिद्ध है। ३-समाजके उपयोगी कार्य अविहित-अनिपिद्ध है।
उनमे आरम्भ होता है यानी वे मोक्षके लिए नहीं होते, इसलिए उनका मोक्ष-दृष्ठिसे विधान नहीं कियाजाता और वे समाजके लिए उपयोगी होते है इसलिए उनका वर्तमान-कालमे निषेध नहीं कियाजाता अथवा अमुक कार्य मत करो, इस
रूपमे निपेध नहीं कियाजाता। समाजकी दृष्टि से
१-समाज जिसका विधान करे, वह विहित । २-समाज जिसका निपेध करे, वह निषिद्ध । ३-समाज जिसकान विधान करे और न निपेध, वह
अविहित-अनिषिद्ध। समाजकी व्यवस्थासे सम्बन्धित कार्य अविहित-अनिपिद्ध है। मोक्षधर्मकी दृष्टिसे इनका विधान और वार्तमानिक
एवं वैयक्तिय निषेध नहीं होता। यह है आचार्य भिक्षके विचारोंकी आध्यात्मिक पृष्ठभूमि ।