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२. स्वप्नदोप से वचने का सुन्दर उपाय। ३ वाये पार्श्व सोने से पाचनक्रिया ठीक होती है और सहज
ही रात्रिकाल में सूर्यस्वर चालू रहता है। ४ दाये पार्श्व सोने से वायु-शुद्धि होती है।
ऊर्ध्वशयन
विधि-भूमि पर सीधे लेट जाइए। नाभि से ऊपर के अथवा नीचे के भाग को ऊचा उठाइए।
समय-तीन से पांच मिनट। फल-१. कटि भाग तथा उसके नीचे और ऊपर के भागों की पेशियो
पर प्रभाव होता है। २. शुक्र-ग्रन्थियां प्रभावित होती है।
लकुटासन
विधि-भूमि पर सीधे लेट जाइए। लकुट (वक्र काष्ठ) की भांति एडियो और सिर को भूमि से सटाकर शेष शरीर को ऊपर उठाइए।
पीठ को भूमि से सटाकर शेप शरीर को ऊपर उठाकर सोने को भी लकुटासन कहा जाता है।
समय-तीन से पाच मिनट। फल-१. कटि के स्नायुओ की शुद्धि ।
२. उदर-दोषो की शुद्धि। मत्स्यासन
विधि-पद्मासन लगाकर लेट जाइए। दोनो हाथो से दोनो पैरो के अगूठे पकड़िए। सीने को ऊपर की ओर उठाकर सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सके, ले जाकर भूमि पर टिकाइए।
दूसरे प्रकार मे जालन्धर बन्ध भी किया जाता है। समय-एक मिनट से पन्द्रह मिनट तक। फल-पहली विधि .
१. उदर के स्नायुओ पर प्रभाव होता है।
६८ / मनोनुशासनम्