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नासाग्र-नासिका का अग्रभाग। निक्षेप-रखना। निरभिष्वग-निर्लेप। निरालम्बन-आलम्बन-रहित। निरुद्ध-आत्मपरिणत। निरोध-रोकना। निर्जरा-आत्मा की उज्ज्वलता। निर्विचार-विचारातीत, भावातीत या विकल्पातीत। निवृत्ति-निवर्तन करना। निपीटनस्थान-वैठकर किए जाने वाले आसन। निस्सगत्व-निर्लेपता-अनासक्त भाव । पड्क-कीचड। पद-शब्द। पदस्थध्यान-शब्द के आलम्बन से होने वाली एकाग्रता। परावर्तन-स्मरण। परीषह-कष्ट। पर्याय-समानार्थक। पार्थिव-पृथ्वी से सम्बन्धित। पाणि-एडी। पिण्ड-शरीर। पिण्डस्थ ध्यान-शरीर के आलम्वन से होने वाली एकाग्रता। पूरक-श्वास को अन्दर खीचना। पृष्ठान्त-पीठ का अन्त्य भाग। प्रणीतरस-अतिमात्र, गरिष्ठ। प्रतिमा कायोत्सर्ग की विशेप विधि। प्रतिलेखन-देखना। प्रतिसंलीनता-अन्तर्मुखता। प्रमाद-आत्मविमुखता, विस्मृति। प्रमार्जन-साफ करना। प्रमोद-दूसरों के गुणो के प्रति प्रसन्नता का भाव।
मनोनुशासनम् / २०३