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अविरति-पदार्थ के प्रति आकाक्षा। अविसंवादित्व-कथनी और करनी की एकरूपता। अशन-भोजन। अशरण-असहाय। अशौच-अपवित्र। आकिचन्य-निर्ममत्व। आत्मा-जीव। आत्मौपम्य-आत्मतुल्य। आदान-उठाना, ग्रहण करना। आनापान-श्वास, पश्वास । आर्जव-माया का निरोध । आवरण-आच्छादन। आशय-विचार। आश्रव-कर्म-वन्धन का हेतु। आहरण-भोजन करना। आहित-स्थापित। इन्द्रिय-प्रतिनियत अर्थ को ग्रहण करने वाला। उन्नयन-ऊपर ले जाना। उपधि-वस्त्र-पात्र आदि उपकरण। उपरोध-दूसरो के स्वत्व का हरण । उपलब्धि-प्राप्ति। उपवास-भोजन का त्याग करना। उपशम-शान्ति। उपसर्ग-उपद्रव। उपाश्रय-धर्मस्थान। ऊनोदरिका-खान-पान मे कमी करना। ऊर्ध्वरेता-जिसका वीर्य ऊर्ध्वगामी हो। ऊर्ध्वस्थान-खडे होकर किए जाने वाले आसन। एकत्व-एकाकीपन। एकाग्रसन्निवेशन-एक लक्ष्य मे स्थापन ।
मनोनुशासनम् । २०१