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________________ ११६ : जैनसाहित्यका इतिहास माघनन्दि, धरसेन, पुष्पदन्त, भूतबलि तथा कुन्दकुन्दके गुरुका स्थूल समय १०-१० वर्षका ही मान लिया जाय, जिसका मान लेना कुछ अधिक नहीं है, तो यह सहज में ही कहा जा सकता है कि कुन्दकुन्द उक्त समयसे ८० वर्ष अथवा वीर निर्वाणसे ७६३ वर्ष बाद हुए हैं और यह समय उस समय (७७०) के करीब ही पहुँच जाता है जो विद्वज्जन बोधकसे उद्धृत किये गये पद्यमें दिया है और इसलिये इसके द्वारा उसका बहुत कुछ समर्थन होता है । आगे मुख्तार साहबने शिवकुमार महाराज वाली चर्चा उठाकर डा० पाठकके मतको अमान्य किया है। और लिखा है कि 'प्रथम तो जयसेनादिका यह लिखना ही कि कुन्दकुन्दने शिवकुमार महाराजके सम्बोधनार्थ अथवा उनके निमित्त इस पञ्चास्तिकायकी रचना की, बहुत कुछ आधुनिक मत जान पड़ता है, मूलग्रन्थमें उसका कोई उल्लेख नहीं और न श्री अमृतचन्द्राचार्यकृत टीका परसे ही उसका कोई समर्थन होता है। दूसरे शिवकुमारका शिवमृगेश वर्माके साथ जो समीकरण किया गया है उसका कोई युक्तियुक्त कारण भी मालूम नहीं होता। उससे अच्छा समीकरण तो प्रो० ए० चक्रवर्तीका जान पड़ता है।' आगे अपने प्रो० चक्रवर्तीके इस मतको भी मान्य नहीं किया है कि कुन्दकुन्दका एक नाम एलाचार्य था और वह कुरलके कर्ता हैं । क्योंकि नन्दिसंघकी पट्टावली अथवा गुर्वावलीको छोड़कर दूसरे किसी भी ग्रन्थसे अथवा शिलालेखसे यह मालूम नहीं होता कि एलाचार्य कुन्दकुन्दका नामान्तर था। ___ आगे आपने पट्टावलि प्रतिपादित समयको विस्तारसे आलोचना की है। अन्तमें आपने भद्रबाहु शिष्य कुन्दकुन्दको दूसरे भद्रबाहुका शिष्य ठहराते हुए कुन्दकुन्दका समय वीरनिर्वाण ६०८ से ६९२ तक स्थापित किया है । डा० ए० एन० उपाध्येने प्रवचनसारकी विद्वतापूर्ण प्रस्तावनामें उक्त सभी विद्वानोंके तोंको देकर विचारके लिये ५ मुद्दे स्थापित किये हैं १. श्वेताम्बर दिगम्बर भेद उत्पन्न होनेके पश्चात् कुन्दकुन्द हुए । २. कुन्दकुन्द भद्रबाहुके शिष्य हैं। ३. श्रु तावतारके अनुसार कुन्दकुन्दने षट्खण्डागमके आद्य तीन खण्डों पर टीका लिखी। ४. जयसेन और बालचन्द्रके लेखानुसार कुन्दकुन्द शिवकुमार महाराजके समकालीन थे। ५. कुन्दकुन्द कुरलके रचयिता थे।
SR No.010295
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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