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________________ १०४ : जेनसाहित्यका इतिहास कोण्डकुण्ड' का अर्थ होता है वह स्थान जो पहाड़ी पर या पहाड़ीके निकट हो । यह अर्थ आज भी इस गांवके साथ घटित होता है क्योंकि यह पर्वत श्रेणीके अति निकट अवस्थित है। यहाँसे प्राप्त एक खण्डित शिलालेखमें पद्मनन्दि नाम पढ़ा जाता है जो दो बार आया है। उस नामके साथ लगा :चारण• विशेषण महत्त्वपूर्ण है। उसके बाद कुन्दकुन्दान्वय नाम आता है। अतः श्री देसाईका मत है कि उक्त शिलालेखसे प्रमाणित होता है कि यही स्थान कुन्दकुन्दकी जन्मभूमि थी। इसी शिलालेखके अन्तमें नयकीर्तिदेव सैद्धान्तिक चक्रवर्ती का तथा कुमार तैलप्य और उनके पिता पश्चिमीय चालुक्य राजा विक्रमादित्य (१०७६-११२६ ई०)का नाम अंकित है। श्री देसाईका कहना है कि कोण्डकुण्ड नाम मूलतः सामान्यतया द्रविड़ है किन्तु खासतौरसे कन्नड़ है। वैसे यह ग्राम कर्नाटक और आंध्रके मध्यमें सीमा प्रवेश पर स्थित है। नामकी साम्यता तथा उक्त शिलालेखके प्रकाशमें श्री देसाईका मत समुचित प्रतीत होता है । इससे अधिक कुछ कह सकना सम्भव नहीं है । गुरु-टीकाकार जयसेनाचार्यके अनुसार कुन्दकुन्द कुमार नन्दि सिद्धान्तदेव के शिष्य थे । और नन्दि संघकी पट्टावलीके अनुसार उनके गुरुका नाम जिनचन्द्र था । तथा कुन्दकुन्द स्वयं अपनेको भद्रबाहुका शिष्य बतलाते हैं । श्रवणवेल गोलाके शिला लेख नं० २२७ में एक कुमार नन्दि भट्टारकका नाम आता है । देवरहल्लिके शिला लेखमें जो आठवीं ईस्वी शताब्दीका है नन्दि संघ के एरिगित्तु गण तथा पुलिक्ल (पुष्कर) गच्छके चन्द्रनन्दिके शिष्य कुमार नन्दिका नाम आया है । आचार्य विद्यानन्दने अपनी प्रमाणपरीक्षामें कुमार नन्दि भट्टारकके नामसे एक कारिका भी उद्धृतको है । अतः कुमार नन्दि नामक आचार्य तो हो गये हैं किन्तु फिर भी चूंकि विद्यानन्दने उनका उल्लेख किया है अतः वह नौवीं शताब्दीसे वादके नहीं है। किन्तु वे तार्किक थे। और उतने प्राचीन भी नहीं हो सकते । अतः कुन्द-कुन्दके साथ उनके गुरुशिष्यभावकी कोई संभावना प्रतीत नहीं होती। मथुरासे प्राप्त एक शिलालेखमें उच्च नगर शाखाके एक कुमारनन्दिका उल्लेख है । यह शिलालेख हुविष्क वर्ष ८७का होनेसे बहुत प्राचीन है। किन्तु १. जै०शि० सं० भा० १ । २. वही, भा०२, नं० १२१ ।
SR No.010295
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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