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२५६ - जैनसाहित्यका इतिहास
यह हम पहले लिख आये है कि कसायपाहुडके अधिकारोकी संख्या यद्यपि पन्द्रह है तथापि नामोमें मतभेद है और उमका निर्देश करके वीरसेन स्वामीने जयघवलाके अधिकारोका निर्देश स्वय अपनी दृष्टिसे किया है। ___सबसे प्रथम जयधवलाकारने मंगलकी चर्चा करते हुए यह प्रश्न उठाया है कि आचार्य गुणधरने कसायपाहुडके और यतिवृपभने चूणिसूत्रोके आदिमें मंगल क्यो नही किया ? समाधानमें कहा है कि प्रारम्भ किये गये कार्यमें विघ्न विनाशके लिये मगल किया जाता है । किन्तु परमागममें उपयोग लगानेसे ही वे विघ्न नष्ट हो जाते है, इसीसे उक्त दोनो ग्रन्थकारोने मगल नही किया । ___चूर्णिसूत्रकारने प्रथम गाथाकी वृत्तिमें पांच उपक्रमोका निर्देश किया है । किन्तु जयधवलाकारने दोनोकी सगति बतलाते हुए कहा है कि गाथामें केवल एक नामोपक्रमका ही निर्देश है शेपकी सूचना 'दु' शब्द से की है । इसीसे यतिवृषभ ने पांच उपक्रमोका निर्देश किया है। ___यत इसका निकाम ज्ञानप्रवाद नामक पूर्वसे हुआ है अत' टीकाकारने मंगलके पश्चात् मति आदि पांच ज्ञानोका कथन करते हुए पांच उपक्रमोका विस्तारसे कथन किया है । तथा केवलज्ञानका अस्तित्व तर्क और युक्तिके आधारसे सिद्ध किया है। इसी प्रसगसे कर्मवन्धनकी भी चर्चा है । तत्पश्चात् केवलज्ञानी भगवान महावीरके जीवनकालकी चर्चा करते हुए विपुलाचलपर उनकी प्रथम धर्मदेशनाका समय बतलाया है तथा किस प्रकार आचार्यपरम्परासे आता हुआ उपदेश गुणधराचार्य तथा आर्यमा और नागहस्तीको प्राप्त हुआ, यह बतलाया है। द्वादशागरूप श्रुत और अगवाह्यश्रुतके विषयका परिचय करानेके वाद पन्द्रह अधिकारोको चर्चा विस्तारसे की है और उस विषयक मतभेदको भी स्पष्ट किया है।
चूणिसूत्रकारने कसायपाहुड नाम ननिष्पन्न कहा है। इस प्रसगसे नयोके स्वरूपकी चर्चा बहुत विस्तारसे करते हुए नयोमें निक्षेपोंकी योजना की है । जो नयोके अध्ययनके लिये उपयोगी है । ___ चूणिसूत्रोके विषय-परिचयमें कहा है कि आचार्य यतिवृषभने विवेचनके लिये अनुयोगद्वारोका निर्देश किया है तथा उनमेंसे कुछ अनुयोगद्वारोका सामान्य कथन भी किया है । जयधवलामें सभी अनुयोगद्वारोका विवेचन चौदह मार्गणाओमें किया है। तथा यह विवेचन चूर्णिसूत्रो पर निर्मित उच्चारणावृत्तिका आलम्बन लेकर किया गया है। जयधवलाकारने इस बातका निर्देश, कि हम यह कथन उच्चारणाका आश्रय लेकर कर रहे है, स्थान-स्थानपर किया है।
यहाँ प्रथम अधिकारमें मागत सतरह अनुयोगद्वारोका सक्षिप्त परिचय दिया जाता है क्योकि सब अधिकारोमें प्राय इनका कथन आता है।
मतभेवक बाद पन्द्रह अशागरूप श्रुत आमा और नागहस्तान