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जैन रत्नाकरे
आंक ३३ का भांगा - १
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यहाँ पहले अंक ३ का अर्थ है तीन करण और दूसरे अंक ३ का अर्थ है तीन योग । अर्थात् तीन करण एवं तीन योग से सिर्फ एक ही भांगा हो सकता है जैसे :
(१) करूं नहीं, कराऊं नहीं, अनुमोदूं नहीं, मन से, वचन से, काया से |
(२५) पचीसर्वे बोले चारित्र पांच
(१) सामायिक चारित्र ।
(२) छेदोपस्थापन चारित्र | (३) परिहार विशुद्धि चारित्र । (४) सूक्ष्म सम्पराय चारित्र |
( ५. यथाख्यात चारित्र |