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जैन रत्नाकर
असली आजादी
असली आजादी अपनाओ । मिली तुम्हें जो यह आजादी, तो आगे कदम बढ़ाओ || असली आजादी अपनाओ || इति ध्रुव पम् ॥ बन्धन जो है परवशता के, समझो अंतर ज्योति जगाके । फिर तोड़ो आत्मबल लाके, ज्यों स्वतंत्र बन जाओ ॥ असली आजादी अपनाओ ॥ १ ॥
है गुलाम दुनियाँ स्वारथ की, पराधीनता मन मन्मथ की । प्रतिपथ मोह ममत्व प्रसारित, क्यों न नजर में लाओ ॥ असली आजादी अपनाओ ॥ २ ॥
रिश्वत खोरी - जुआजोरी, जग रही जग हिंसा की होरी । धर्म नाम पर धर नृशंसता, जरा न दिल शरमाओ | असली आजादी अपनाओ || ३ ||
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मन पञ्चेन्द्रिय कर काबू में, धोलो आतम तप साबू में । दुःखद दुराचार बदबू में, कभी न मन ललचाओ || असली आजादी अपनाओ ॥ ४ ॥
पन्द्रहऽगस्त पुनीत समय में, भारत आजादी अभिनय में । 'तुलसी' सब आध्यात्मिकता के अभिनव दीप जलाओ ॥ नाम मात्र की यह आजादी, पाकर मत फुलाओ || असली आजादी अपनाओ ॥ ५ ॥