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जैन रत्नाकर
(१४) चौदहवें बोले नव तत्व के ११५ भेदजीव तत्व के चौदह भेद
सूक्ष्म एकेन्द्रिय के दो भेद-(१) अपर्याप्त और (२) पर्याप्त । वादर एकेन्द्रिय के दो भेद- (३) अपर्याप्त और (४) पर्याप्त। द्वीन्द्रिय के दो भेद-(५) अपर्याप्त और (६) पर्याप्त । त्रीन्द्रिय के दो भेद-(७) अपर्याप्त और (८) पर्याप्त । चतुरिन्द्रिय के दो भेद-(१) अपर्याप्त और (१०) पर्याप्त । असंज्ञी पंचेन्द्रिय के दो भेद-(११) अपर्याप्त और (१२) पर्याप्त । संज्ञी पंचेन्द्रिय के दो भेद-(१३) अपर्याप्त और (१४)
पर्याप्त । अजीव तत्व के चौदह भेद
धर्मास्ति काय के तीन भेद -(१) स्कन्ध (२) देश (३) प्रदेश। अधर्मास्तिकाय के तीन भेद-(४) स्कन्ध (५) देश (६) प्रदेश ।
आकाशास्तिकाय के तीन भेद -(७' स्कन्ध (८ देश (8) प्रदेश। काल का एक भेद-(१०) काल ।