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जैन रत्नाकर
धर्माचार्य वंदना तीजै पदे म्हारा धर्माचार्य गुरु पूज्यजी महाराजा, धिराज श्री श्री १००८ श्री तुलसीरामजी स्वामी आदि ते आचार्य भगवान केहवा छै–पञ्च महानतना पालणहार, चार कषायना टालणहार, पञ्चाचारना पालणहार, पञ्च समिति-समिता, त्रिण गुप्तिगुप्ता पंचेन्द्रियना जीतणहार, नवबाड़ सहित ब्रह्मचर्यना पालणहार एवं छत्तीस गुणना धरणहार, शासन शृङ्गार गच्छाधार धर्मधुरन्धर सयल शुभङ्कर, भुवन भासक, मिथ्यात्व नासक तीर्थङ्कर देव वत् धर्मोद्योतकारी एहवा महापुरुष आचार्यजी प्रते हाथजोड़ मानमोड़ तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं वंदामि नमसामि सकारेमि सम्मामि कल्लाणं मङ्गलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि मथएण वंदामि ॥३॥.
___ उपाध्याय वंदना चउथे पदे उपाध्यायजी महाराज इग्यारह अंग बारह उपांग भणै भणावै एवं पचीस गुणयुक्त विराजमान छै ते महापुरुष उपाध्यायजी प्रते हाथजोड़ मानमोड़ तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं वदामि नमसामि सकारेमि सम्माणेमि