________________
जैन रत्नाकर
श्रद्धा सुमन
(देखो वीर जिनेश्वर वन्दन राय उदाई आवै रे)
श्री महावीर चरण में सादर, "श्रद्धा सुमन" सझाऊँ मैं। हार्दिक भक्ति-सलिल से सींच, सींच कलियाँ विकसाऊँ मैं,
(इति ध्रुव पदम्) ईश्वर अखिलेश्वर, हाँ हाँ ईश्वर० । प्रभु परमातम परमेश्वर । प्राण-प्रिय जैन जिनेश्वर ।
भास्वर अविनश्वर कहि बतलाऊँ मैं ॥ श्री महावीर चरण में सादर श्रद्धा सुमन सझाऊँ मैं ॥१॥
नहिं जिन जग कर्ता, हाँ हाँ नहिं० । नहिं शङ्कर वत संहर्ता । यद्यपि त्रिभुवन के भर्ता ।
अविकार अमल जस लक्षण गाऊँ मैं ॥ श्री महावीर चरण में सादर श्रद्धा सुमन सझाऊँ मैं ॥२॥