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जैन रत्नाकर प्रार्थना
(देशी-मन्त्र वन्देमातरम् ) हे दयालो देव ! तेरी, शरण हम सब आ रहे। शुद्ध मन से एक तेरा, ध्यान हम सब ध्या रहे ॥ मोह मद ममता के त्यागी, वीतरागी तुम प्रभो। हम भी उस पथ के पथिक हों, भावना यहीभा रहे ॥१॥
सद्गुरू में हो हमारी, भक्ति सच्चे भाव से। धर्म रग रग में रमे, हरदम यही हम चाह रहे ॥२॥
दिल से पापा के प्रति, प्रतिपल हमारी हो घृणा । प्रेम हो सतसङ्ग से यह, लालसा दिल ला रहे ॥३॥
दूसरों की देख बढ़ती, हो न ईर्ष्या लेश भी।। सर्वदा ग्राहक गुणों के, हों हृदय से गा रहे ॥४॥ त्यागमय जीवन विता, शान्तिमय वर्ताव हो। भाव हो समभाव तेरा-पन्थ जो हम पा रहे ॥शा