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जैन माकर
से रहित। जरा वृद्धावस्था और मरण से मुक्त। चौवीसों जिनवर तीर्थङ्कर देव मुझ पर प्रसन्न हो कीर्तन वन्दन और भाव से पूजन को, प्राप्त हुए हैं। जो वे लोक के प्रधान सिद्ध हैं। आरोग्य-सम्यक्त्व का लाभ । समाधि वर उत्तम श्रेष्ठ देवे। चन्द्र से विशेष निर्मल । सूर्य से अधिक प्रकाश करने वाले। महासमुद्र के समान गम्भीर। सिद्ध भगवान मोक्ष मुझको देवें।
नमोत्थूणं णमोत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं, आइगराणं तित्थयराणं सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुतमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुण्डरीयाणं, पुरिसवरगंधहत्थीणं,लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं, लोगहियाणं, लोगपईवाणं, लोगपज्जोयगराणं-अभयदयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, सरणदयाणं, बोहिदयाणं, जीवदयाणं, धम्मदयाणं, धम्मदेसयाणं,धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्मवर-चाउरंत-चक्कवट्टीणं, दीवोत्ताणं सरणगइपइट्ठा, अप्पडि-हय-वर नाणदंसण-धराणं, विअछउम्माणं, जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं, तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोयगाणं, सम्वन्नूणं सम्वदरिसीणं, सिव-मयल मरुय-मणंत-मक्खय-मवावाह-मपुणरावित्तिः सिद्धिगइनाम