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गद्दी दी आचलने आग्रह सेवक बनाया देखा । देखा
सुनकर चंद्रप्रभ बहुत हर्षित हुआ । उसने बड़े उत्सव और धूमधामके साथ अचलको नगरमें प्रवेश कराया।
फिर चंद्रप्रभने, अचलको-छोटा होनेपर भी-राज्य गद्दी दी और भानुप्रभ आदिको अपने देशसे निकाल देना चाहा । अचलने आग्रह पूर्वक पिताको ऐसा करनेसे रोका और उन्हें अपने अदृष्ट सेवक बनाया। ____एकवार नाट्यशालामें अचलने अंकको देखा । देखाप्रतिहारी उसको धक्के मारकर बाहिर निकाल रहे हैं। राजाने उसी समय उसको अपने पास बुलाया और उसकी जन्मभूमि श्रावस्ती नगरीका उसको राजा बनाया। अद्वितीय क्षेत्रीवाले वे दोनों साथ रहकर राज्य करने लगे । अन्तमें उन्होंने समुद्राचार्यके पाससे दीक्षा ली और कालयोगसे मृत्यु पाकर दोनों ब्रह्मलोकमें देवता हुए। वहाँसे चक्कर अचलका जीव यह शत्रुघ्न तुह्मारा अनुजबन्धु हुआ है। पूर्वजन्मके मोहसे उसने मथुराके लिए आग्रह किया था । अंकका जीव वहाँसे चवकर तुम्हारा सेनापति कृतान्तबदन हुआ है। इतना कहनेके पश्चात मुंनि वहाँसे विहार कर गये। रामचंद्र आदि अयोध्यामें आये।
सुरनंदादि महर्षियोंका प्रभाव। प्रभापुरके राजा श्रीनंदकी रानी धमणीके गर्भसे क्रमशासात पुत्र हुए। उनके सुरनंद. श्रीनंद. श्रीतिलक. सर्व