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सीताको रामचन्द्रका त्यागना ।
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· तत्पश्चात राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न पुष्पक विमान में बैठे । रामने पुष्पक विमानको शीघ्रता पूर्वक अयोध्यामें प्रवेश करनेकी आज्ञा दी। आज्ञा सुनकर पुष्पक विमान रामको बन्धुओं सहित अयोध्यामें ले चला । आकाशमें और पृथ्वीमें बाजे बजने लगे। मेघको मयर देखता है, वैसे अनिमिष नयनसे पुरवासी राम, लक्ष्मणको देखने लगे और उनकी स्तुति करने लगे। प्रसन्न वदन राम लक्ष्मणको लोग सूर्यकी भाँति अर्घ्य अर्पण करते थे। वे उनका स्वीकार करते हुए क्रमशः महलके पास पहुंचे। .. सुहृदजनोंके हृदयोंको सुख देनेवाले राम, लक्ष्मण सहित पुष्पक विमानमेंसे उतरकर माताओंके महलमें गये। दोनों भाइयोंने देवी अपराजिताको और अन्य माताओंको प्रणाम किया। माताओंने उनको आशीर्वाद दिया। फिर सीता विशल्या आदिने अपनी सासुओंको, चरणोंमें शिर रखकर, नमस्कार किया। उन्होंने आशीर्वाद दियाः." हमारा आशीर्वाद है कि-तुम भी हमारी ही भाँति वीर 'पुत्रोंको जन्म देनेवाली बनो।"
अपराजिता देवी बारबार लक्ष्मणके सिरपर हाथ फेरती हुई बोली:-" हे वत्स ! मुझे सद्भाग्यसे तुम्हारे दर्शन हुए हैं। मैं तो यह समझती हूँ कि तुमने इसी समय पुनर्जन्म लिया है; क्यों कि-तुम विदेश गमनकर, मृत्युमुखमें जा, फिर विजय करके यहाँ आये हो । राम और