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________________ ३७० जैन रामायण आठवाँ सर्ग। तत्पश्चात सोलहवें दिन राम, लक्ष्मण अपने अन्तःपुर सहित पुष्पक विमानमें बैठकर अयोध्याकी ओर चले। विमानमें बैठकर जाते हुए, राम और लक्ष्मण ऐसे शोभित हो रहे थे, मानो शकेंद्र और ईशानेंद्र एकत्रित होकर जा विभीषण, सुग्रीव, भामंडल आदि राजाओंसे वेष्टित राम थोड़े ही समयमें अयोध्याके निकट पहुँच गये । अपने ज्येष्ठ बन्धुओंको पुष्पक विमानमें बैठकर आते देख, भरत शत्रुघ्न सहित गजेंद्र पर बैठकर, उनका स्वागत करनेके लिए सामने गया। भरतको निकट आये देखकर रामकी आज्ञासे पुष्पक विमान पृथ्वीपर आगया, जैसे कि इन्द्रकी आज्ञासे पालक विमान आया करता है । भरत, शत्रुघ्न हाथीपरसे उतरकर, पाप्यादे रामके पास जाने लगे। अनुजोंसे मिलनेके उत्सुक राम, लक्ष्मण भी विमानमेंसे उतर पड़े। ___ भरत और शत्रुघ्न जाकर रामके चरणों में गिरपड़े । दो नोने साष्टांग नमस्कार किया। प्रेमाश्रुसे . उनके नेत्र भर गये । रामने उनको उठाया, गले लगाया, उनके सिरको चूमा और उनके देहकी धूलिको झाड़ा। फिर दोनोंने लक्ष्मणके चरणोंमें नमस्कार किया। लक्षगणने भुजाएँ प्रसारकर उनको आलिंगन दिया।
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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