________________
३६८
जैन रामायण आठवाँ सर्ग ।
ज्ञाके अनुसार दोनोंने भिन्न भिन्न कन्याओंका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया । खेचरियोंने मंगल गीत गाये । सुग्रीव विभीषणादि सेवित राम लक्ष्मणने छः बरस आनंदके साथ लंकामे, सुखोपभोग करते हुए निकाले । उस समय विंध्यस्थलीपर इन्द्रजीत और मेघवाहन सिद्धिपद पाये, इसलिए वहाँ पर मेघरथ नामका तीर्थ हुआ, और नर्मदा-- नदीमें कुंभकर्ण सिद्धिपद पाये इसलिए वहाँ पृष्ठरक्षित नामा तीर्थ हुआ। .
राम, लक्ष्मणका अयोध्या आगमन । ___ उधर राम, लक्ष्मणकी माताओंको अपने पुत्रोंके कुछ भी समाचार नहीं मिले इसलिए वे सदा चिन्ता-पीडितहृदय होकर रहती थीं। एक वार धातकी खंडमेंसे नारद मुनि वहाँ जा पहुँचे । रानियोंने भक्तिपूर्वक उनका आदर सत्कार किया। नारदने उनको, चिन्तित देख कर, चिन्ताका कारण पूछा । अपराजिताने उत्तर दिया:-" मेरे पुत्र राम और लक्ष्मण पुत्रवधू सीता सहित, पिताकी आज्ञासे वनमें गये । वहाँसे रावण सीताको हर कर ले गया । इसलिए राम लक्ष्मण लंकामें गये वहाँपर युद्ध में लक्ष्मणके शक्ति लगी । लक्ष्मण मूञ्छित हो गये । शक्ति के शल्यको दूर करनेके लिए, रामके योद्धा विशल्याको लंकामें ले गये । आगे क्या हुआ सो हमें मालूम नहीं है । न जाने लक्ष्मण जीवित हुआ या नहीं ? ".